सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह

Question

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।

कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।

कवि ने किस प्रकार की भावना को व्यक्त किया है?

Answer

कवि ने रहस्यवादी भावना को प्रकट किया है। उसे फागुन की सुंदरता और उल्लास सब दिशाओं में समान रूप से फैला हुआ प्रतीत होता है।

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जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही कभी किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देख कर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।

छायावाद की एक खास विशेषता है- अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

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