निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: अट नहीं रही है आभा फागुन की तन सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो, उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो, आँख हटाता हूँ तो हट नहीं रही है। पत्तों से लदी डाल कहीं हरी, कहीं लाल, कहीं पड़ी है उर में मंद-गंध-पुष्प-माल, पाट-पाट शोभा-श्री पट नहीं रही है।
कवि किस की ओर से अपनी आँख क्यों नहीं हटा पाता?
Answer
Short Answer
कवि अपने चारों ओर फैले परमात्मा के सौंदर्य से आँख नहीं हटा पाता। उसका मन नैसर्गिक सौंदर्य में बंध कर रह गया है।
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