सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह
अनुप्रास-
• ‘घेर घेर घोर गगन’ में।
• ‘ललित ललित, काले घुँघराले’,
‘बाल कल्पना के-से पाले’।
• ‘कवि, नवजीवन वाले’।
• ‘फिर भर दो’।
मानवीकरण:
बादल गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
पुनरुक्ति प्रकाश- घेर-घेर, ललित ललित, विकल-विकला।
उपमा - बाल कल्पना के-से पाले।
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