निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: बादल, गरजो! - घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ! ललित ललित, काले घुँघराले, बाल कल्पना के-से पाले, विद्युत्-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले! वज्र छिपा, नूतन कविता फिर भर दो - बाद, गरजो! विकल विकल, उन्मन थे उन्मन विश्व के निदाघ के सकल जन, आए अज्ञात दिशा से अनंत के धन! तप्त धरा, जल से फिर शीतल कर दो - बादल, गरजो!
बादल किसकी कल्पना के सामने पाले गए हैं?
Answer
Short Answer
बादल नन्हें अबोध बालकों की कल्पना के समान पाले गए हैं। बादलों के हृदय में बिजली की शोभा छिपी हुई है जो समय-समय पर जगमगा कर प्रकट हो जाती है।
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