सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह
होली के आस-पास मौसम में एकदम परिवर्तन आता है। सर्दी समाप्त होने लगती है और सूर्य की तपन बढ़ने लगती है। सर्दियों में जिस गर्म धूप की इच्छा होती है वह कम हो जाती है। पेड़-पौधों पर हरियाली छाने लगती है। वनस्पतियों पर नई-नई कोंपलें दिखाई देने लगती हैं। घास पर सुबह-सुबह दिखाई देने वाली ओस की बूँदें गायब हो जाती हैं पक्षियों के जो झुंड सर्दियों में न जाने कहाँ चले जाते हैं वे वापिस पेड़ों पर लौट कर चहचहाने लगते हैं। प्रकृति की शोभा होली के आसपास नया-सा रूप प्राप्त कर लेती है।
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