सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह

Question

जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही कभी किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देख कर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।

Answer

झूम उठे तरुवर उपवन में
छाई हरियाली कानन में
लता पल्लवित पाणि-युगल में
लिए खड़ी उपहार-सुमन।
किसी की स्मृति से हर्षित मन?
फूल खिले फूले न समाते
मोद-भरे मधु गंध उड़ाते
सौरभ-निधि का भार उठाए
बह चला मंद-मंद पवन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन?
मधुपावली सुवाद्‌य बजाती
कोकिल कूहू तान सुनाती
विहग मंडली हर्ष जनाती
हो गए जन-मन रत नर्तन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन?
हर्ष-तरंग उठी मानस में
नव संचार हुआ साहस में
झंकृति से मानस--वीणा की
सकल हुआ रोमांचित तन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन? -डॉ० रत्न चंद्र शर्मा से आभार सहित।

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Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह Chapter

कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?

फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?

इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य -शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।

होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।

फागुन में गाए जाने वाले गीत जैसे होरी, फाग आदि गीतों को जानिए।

‘अट नहीं रही’ के आधार पर बसंत ऋतु की शोभा का उल्लेख कीजिए।

‘अट नहीं रही’ में विद्यमान रहस्यवादिता को स्पष्ट कीजिए।

पाठ में संकलित निराला की कविताओं के आधार पर विद्रोह के स्वर को स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
बादल, गरजो! -
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत्-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा,   नूतन कविता
     फिर भर दो - 
     बाद, गरजो!
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के धन!
तप्त धरा, जल से फिर
   शीतल कर दो -
   बादल, गरजो !