जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य
कवि का जीवन दुःखों और अभावों से भरा हुआ है जिसकी व्यथा भरी कहानी वह औरों को नहीं सुनाना चाहता। किसी भी व्यक्ति की पीड़ा भरी कहानी को सुनकर किसी को भी तो खुशी प्राप्त नहीं होती।
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(ख) जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
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