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जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य

Question
CBSEENHN10001576

आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ ऐसा क्यों कहता है?

Solution
कवि को ऐसा लगता है कि अभी उसके जीवन में कोई बड़ी-बडी उपलब्धियाँ नहीं हैं जिन्हें दूसरों के सामने प्रकट किया जा सके। वह अपने अभावग्रस्त जीवन के कष्टों को अपने हृदय में छिपाकर रखना चाहता है। इसीलिए वह कहता है- ‘अभी समय भी नहीं।’

Some More Questions From जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य Chapter

कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस भावों में अभिव्यक्त किया है?

इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जे झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गांव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।

श्री जयशंकर प्रसाद ने ‘आत्मकथ्य’ नामक कविता की रचना क्यों की थी?

कवि अपने जीवन के किस प्रसंग को जग जाहिर नहीं करना चाहता था और क्यों?

कवि ने अपनी कथा को भोली क्यों कहा है?

आप अपना आत्मकथ्य पद्‌य या गद्‌य में लिखिए।

 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज धनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

 

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज धनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

अवतरण में निहित भाव स्पष्ट करें।