जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य

Question

श्री जयशंकर प्रसाद ने ‘आत्मकथ्य’ नामक कविता की रचना क्यों की थी?

Answer

मुंशी प्रेमचंद ‘हंस’ नामक पत्रिका चलाया करते थे। वे उसके संपादक थे। सन् 1932 में उन्होंने पत्रिका का आत्मकथा विशेषांक निकालने का निर्णय किया था। प्रसाद जी के मित्रों ने आग्रह किया कि वे भी आत्मकथा लिखें पर प्रसाद जी को ऐसा करना उचित प्रतीत नहीं हुआ। वे विनम्र थे और उन्हें ऐसा लगता था कि उन्होंने ऐसा कुछ विशेष नहीं किया था जिससे लोगों की वाहवाही उन्हें मिलती। उनकी आत्मकथा न लिखने की इच्छा के-कारण ‘आत्मकथ्य’ की रचना हुई थी जिसे ‘हंस’ पत्रिका के आत्मकथा विशेषांक में छापा गया था।

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Some More Questions From जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य Chapter

‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस भावों में अभिव्यक्त किया है?

इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जे झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गांव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।

श्री जयशंकर प्रसाद ने ‘आत्मकथ्य’ नामक कविता की रचना क्यों की थी?

कवि अपने जीवन के किस प्रसंग को जग जाहिर नहीं करना चाहता था और क्यों?

कवि ने अपनी कथा को भोली क्यों कहा है?

आप अपना आत्मकथ्य पद्‌य या गद्‌य में लिखिए।

 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज धनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।