जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य
कवि को ऐसा लगता है कि अभी उसके जीवन में कोई बड़ी-बडी उपलब्धियाँ नहीं हैं जिन्हें दूसरों के सामने प्रकट किया जा सके। वह अपने अभावग्रस्त जीवन के कष्टों को अपने हृदय में छिपाकर रखना चाहता है। इसीलिए वह कहता है- ‘अभी समय भी नहीं।’
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area