रक्त और हमारा शरीर
पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है?
जब हम बाहर का दूषित खाना व जल पीते हैं तो ये दोनों (दूषित खाना व जल) शरीर में पेट के कीड़ों के लिए वाहक के रूप में कार्य करते हैं। कुछ कीड़ों के लार्वे तो ज़मीन की ऊपरी सतह पर होते हैं इसलिए हमें चाहिए कि हम नंगे पैर इधर-उधर न घूमें और शौचालय का इस्तेमाल करने के पश्चात् साबुन से भली-भाँति हाथ धोएँ, बाहर का खाना न खाएँ व दूषित पानी न पीएँ आदि सावधानियों से स्वयं को इन पेट के कीड़ों से बीमार होने से बचा सकते हैं।
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(क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते हैं-
बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते |
(ख) इन प्रयोगों को पढ़िए-
सड़क के किनारे-किनारे पेड़ लगे हैं। आज दूर-दूर तक वर्षा होगी। |
इन वाक्यों में ‘होते-होते’ की तरह ‘किनारे-किनारे’ और ‘दूर-दूर’ शब्द दोहराए गए हैं। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न है। किनारे-किनारे का अर्थ है- किनारे से लगा हुआ और दूर-दूर का-बहुत दूर तक।
आप भी निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए और उनके अर्थ लिखिए –
ठीक-ठीक, घड़ी-घड़ी, कहीं-कहीं, घर-घर, क्या-क्या |
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पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है?
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साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है-
इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
(i) भानुमती का पिटारा
(ii) दस्तक देना
(iii) धावा बोलना
(iv) घर करना
(v) पीठ ठोकना
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