किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया
लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा?
लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने पर अफ़सोस इसलिए रहा होगा क्योंकि वह भारत की जन-भाषा नहीं थी। इसलिए भारत के लोग यानी उनके अपने लोग उसे समझ नहीं पाते होंगे। लेखक अपनी कविता उर्दू और अंग्रेजी में ही लिखते थे। पर जब वे इलाहाबाद आए तो वहाँ का साहित्यिक वातावरण तथा बच्चन, निराला और पन्त जैसे महान लेखकों का सानिध्य पाकर वे हिन्दी लेखन की ओर अग्रसर होने लगे और हिन्दी में ही रचनाएँ करने लगे।
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लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है?
बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला?
लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये।
लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।
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