मेरा छोटा- सा निजी पुस्तकालय - धर्मवीर भारती

Question

‘इन कृतियों बीच अपने को कितना मेरा-भरा महसूस करता हूँ’- का आशय स्पष्ट कीजिए?

Answer

आज जब अपने पुस्तक संकलन पर नजर डालता हूँ जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी के उपन्यास, नाटक, काव्य संकलन, जीवनियाँ, संस्मरण, इतिहास, कला, पुरातत्व, राजनीति की हजारों पुस्तकें हैं तब कितनी शिद्‌दत से याद आती है अपनी पहली पुस्तक की खरीददारी। रेनर मारिया, रिटके, स्टीफेन, ज्वीना मोपाँसा, चेरवत, टालस्टाय, आदि के साथ हुसैन पिकासो, ब्रगेल तथा हिन्दी में कबीर, तुलसी, सूरदास, प्रेमचंद, निराला, महादेवी वर्मा और न जाने कितने लेखकों, चिंतकों की इन कृत्तियों के बीच अपने को कितना भरा-भरा महसूस करता हूँ। इन किताबों के बीच लेखक अपने आप को अकेला महसूस नहीं करता था। उसे किताबों को देखकर संतोष होता है।

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माँ लेखक की स्कूली पढ़ाई को लेकर क्यों चितित रहती थी?

स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेज़ी की दोनों पुस्तकों ने किस प्रकार लेखक के लिए नयी दुनिया के द्वार खोल दिए?

‘आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी अपनी लीइब्रेरी है’- पिता के इस कथन से लेखक को क्या प्रेरणा मिली?

लेखक द्वारा पहली पुस्तक खरीदने की घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

‘इन कृतियों बीच अपने को कितना मेरा-भरा महसूस करता हूँ’- का आशय स्पष्ट कीजिए?

लेखक अपने कमरे में लेटे-लेटे क्या देखता रहता था?

लेखक के बाल्यकाल में कौन-सा आंदोलन चल रहा था?

मराठी के प्रसिद्ध कवि ने भारती को क्या कहा?

लेखक ने फिल्म न देखकर पुस्तक क्यो खरीदी?