नये इलाके में - अरुण कमल
शिल्प सौन्दर्य:
1. उपेक्षित वर्ग की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
5. जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण किया गया है।
6. आम प्रचलित उर्दू शब्दों का प्रयोग अधिक हुआ है।
7. हाथ की आवृत्ति प्रभावित करती है।
8. ‘पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ’ तैथा ‘जूही की डाल से खूशबूदार हाथ’ में उपमा अलंकार है।
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