नये इलाके में - अरुण कमल
(ii) दुनिया की सारी गदंगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
(i) व्याख्या: कवि ने ऐसे व्यक्तियों का वर्णन किया है जो स्वयं प्रदूषित वातावरण में रहते हुए भी दूसरों के लिए सुगंधित वस्तुओं का निर्माण करते हैं। इन पंक्तियों में कवि ने हमारा ध्यान उन छोटे बच्चों की ओर आकर्षित करना चाहा है जिनके हाथ पीपल के नए पत्तों के समान कोमल होते हैं तथा ऐसी स्त्रियों का वर्णन किया है जिनके हाथ जूही की डाल के समान सुंदर और खुशबूदार है किन्तु गरीबी के कारण ये अत्यन्त कठोर और भयावह हो जाते हैं यह इनके जीवन की एक ऐसी विडंबना है कि ये शहरों से दूर प्रदूषित वातावरण में उपेक्षित होकर जीवन बिताने के लिए विवश है।
(ii) व्याख्या: कवि ने इन पंक्तियों में समाज के एक ऐसे उपेक्षित वर्ग का चित्रण किया है जो सभी व्यक्तियों के लिए सुन्दरता की रचना कर रहा है। स्वयं अभावों में रहते हुए भी दूसरों के जीवन में खुशहाली लाता है। खुशबू की रचना करने वाले लोग स्वयं कितने प्रदूषित वातावरण में रहते हैं इसकी कल्पना करना कठिन है। वे दुनिया भर की गंदगी के बीच में रहते हुए दुनिया को खुशबूदार बनाने का काम करते हैं। ये शोषित और पीड़ित लोग स्वयं बदहाली का जीवन बिताते हुए लोगों का खुशहाली प्रदान करते हैं। ऐसे वातावरण में जहाँ चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। वहाँ खुशबूदार अगरबत्तियों का निर्माण करते हुए स्वयं नारकीय जीवन जीने पर विवश है।
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(ii) दुनिया की सारी गदंगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
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