नये इलाके में - अरुण कमल
प्रस्तुत कविता में कवि ने एक ऐसी दुनिया का वर्णन किया है जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। आधुनिक शहरों की यह सबसे बड़ी विडंबना है शिअद के इस परिवर्तनशील दौर में मनुष्य सर्वके शून्य हो गया है। आपसी मित्रता और प्रेमभाव का अभाव हो गया है। मनुष्य दूर रहने के कारण एक दूसरे कें हृदय से भी दूर हो गया है। यहाँ केवल स्मृतियों के सहारे जीना असंभव है। कोई एक दूसरे से पहचान नहीं रखना चाहता। द्वार खटखटाने पर भी कोई किसी की सहायता नहीं करता। सभी अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इसलिए कवि भी इस रंग बदलती दुनिया में भ्रम का शिकार होता है।
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(ii) दुनिया की सारी गदंगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
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