चंद्र गहना से लौटती बेर

Question

कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?

Answer

कविता की कुछ पंक्तियों में कवि ने प्रकृति का मानवीकरण किया है; जैसे-
(1) यह हरा ठिगना चना, बाँधे मुरैठा शीश पर
     छोटे गुलाबी फूल का, सज कर खड़ा है।

(2) पास ही मिल कर उगी है, बीच में अलसी हठीली।
     देह की पतली, कमर की है लचीली, 
     नील फूले फूल को सिर पर चढ़ाकर
     कह रही है, जो छुए यह दूँ हृदय का दान उसको।
(3) और सरसों की न पूछो-हो गई सबसे सयानी, हाथ पीले कर लिए हैं,
      ब्याह-मंडप में पधारी।
(4)   हैं कई पत्थर किनारे, पी रहे चुपचाप पानी।


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कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?

कविता में से उन पंक्तियों को ढूँढ़िए जिनमें निम्नलिखित भाव व्यंजित हो रहा है -
और चारों तरफ़ सुखी और उजाड़ ज़मीन है लेकिन वहाँ भी तोते का मधुर स्वर मन को स्पंदित कर रहा है।

'और सरसों की न पूछो' - इस उक्ति में बात को कहने का खास अंदाज़ है। हम इस प्रकार की शैली का प्रयोग कब और क्यों करते हैं?

 

काले माथे और सफ़ेद पंखों वाली चिड़िया आपकी दृष्टि में किस प्रकार के व्यक्तित्व का प्रतीक हो सकती है?

बीते के बराबर, ठिगना, मुरैठा आदि सामान्य बोलचाल के शब्द हैं, लेकिन कविता में इन्हीं से सौंदर्य उभरा है और कविता सहज बन पड़ी है। कविता में आए ऐसे ही अन्य शब्दों की सूची बनाइए।

कविता को पढ़ते समय कुछ मुहावरे मानस-पटल पर उभर आते हैं, उन्हें लिखिए और अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।