गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर
‘गीत-अगीत’ कविता का केंद्रीय भाव यह है कि जिस भाव या विचार को स्वर के माध्यम -से अभिव्यक्ति का अवसर मिल जाता है वह गीत है। परंतु इसके साथ अगीत के महत्व को भुलाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि मन-ही-मन में भावों को अनुभव करना कम सुंदर नहीं होता। अगीत मन में उमड़ घुमड़ कर रह जाता है। इसकी गूंज सुनी तो नहीं जा सकती पर अनुभव की जा सकती है।
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