एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त

Question

निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
देख रहा था-जो सुस्थिर हो
नहीं बैठती थी क्षण-भर,
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर।
सुनना वही चाहता था मैं
उसे स्वयं ही उकसाकर-
मुझको देवी के प्रसाद का
एक फूल ही दो लाकर! 

सुखिया के पिता क्या सुनना चाहते थे?





  • उसे बोलने के लिए उकसा रहे थे
  • बुखार के कारण वह बोल नही पा रही थी
  • देवी के प्रसाद को पाने की इच्छा के लिए
  • उसे फिर से खेलते-कूदते देखना चाहते थे

Answer

C.

देवी के प्रसाद को पाने की इच्छा के लिए

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Some More Questions From एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त Chapter

सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता का केंद्रीय भाव शब्दों में लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/ बिंबों को. छाँटकर लिखिए-
उदाहरण: अंधकार की छाया
(i) .........................     (ii) ..........................
(iii) ........................      (iv)..........................
(v) .........................

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीती।

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी

सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का एक फूल क्यों माँगा?