एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त

Question

निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
क्रमश: कंठ क्षीण हो आया,
शिथिल हुए अवयव सारे,
बैठा था नव-नव उपाय की
चिंता में मैं मनमारे।
जान सका न प्रभाव सजग से
हुई अलस कब दोपहरी,
स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा,
कब आई संध्या गहरी।

‘स्वर्ण घन’ का अर्थ लिखो -
  • घन
  • सनहरी बदली
  • सुनहरा बादल
  • अधिक सोना

Answer

D.

अधिक सोना

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बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता का केंद्रीय भाव शब्दों में लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/ बिंबों को. छाँटकर लिखिए-
उदाहरण: अंधकार की छाया
(i) .........................     (ii) ..........................
(iii) ........................      (iv)..........................
(v) .........................

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीती।

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी