एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
देवी माँ का मंदिर ऊँचे पहाड़ की चोटी पर स्थित था। वह आकार मे बहुत विशाल और विस्तृत था। सूरज की किरणों के प्रकाश में उसका सुनहरा कलश खिल उठता था। मंदिर का गिन सदा दीप और धूप के प्रकाश और सुगंध से महकता रहता था। मंदिर के भक्तजन मीठी आवाज में भक्ति भरे गीत गाते रहते थे। वहाँ नित्य देवी का गुणगान होता रहता था। इस प्रकार मंदिर का वातावरण उत्सव के समान उल्लासमय प्रतीत होता था।
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