तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी
लोग अपने घर को तो स्वीट होम ही रखना चाहते हैं परन्तु दूसरे के घर की मिठास में जहर घोलते नजर आते है। अतिथि जब दूसरों के घर जाते हैं तो उनके घर की शांति नष्ट कर देते हैं, लोगों का आचरण दूसरों के जीवन को उथल-पुथल कर देता है। अतिथियों की मेहमानबाजी करने में बोरियत होती है। आर्थिक स्थिरता को बनाकर घर में लोग सुख-चैन की सांस ले रहे होते हैं। खान-पान, रहन-सहन सब ठाट-बाट का होता है। अचानक अतिथि का आगमन देवत्व का बोध नहीं करा पाता। घर की स्वीटनेस को काट डालता है। ऐसे लोगो को भाव भीनी विदाई देने का मन करता है जो दूसरों के घरों की सरसता कम कारण का कारण-बनाते है।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area