दोहे - रहीम
रहीम जी कहते हैं कि अपनी सम्पत्ति के अलावा मुसीबत में कोई सहायक सिद्ध नहीं होता। अर्थात् संकट के समय अपना ही धन काम आता है। जैसे पानी के बिना कमल को सूर्य भी नहीं बचा सकता। यद्यपि सूर्य कमल, का पोषण करता है पर यदि पानी नहीं होता तो कमल सूख जाता है। उसी प्रकार मनुष्य को बाहरी सहायता कितनी ही क्यों न मिले, किन्तु उसकी वास्तविक रक्षक निजी संपत्ति होती है।
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