दोहे - रहीम
मोती में यदि चमक न रहे, वह व्यर्थ है। मनुष्य यदि आत्म सम्मान न बनाए रखे तो बेकार है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं होता। पानी के बिना मोती, मनुष्य और चून नहीं उबर सकते। मोती की चमक, मनुष्य का आत्म सम्मान व आटे की गूँधना सभी पानी के माध्यम से ही संभव है।
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