नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- “टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। जानती है, एक टोपी के लिए कितनों का टाट उलट जाता है। जरा-सी चूक हुई नहीं कि टोपी उछलते देर नहीं लगती। अपनी टोपी सलामत रहे, इसी फिकर में कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। ... मेरी मान तो तू इस चक्कर में पड़ ही मत।”
टोपी के बारे में क्या-क्या कहा गया?
टोपी सत्ता का प्रतीक है इससे राजपाट बदल जाते हैं।
जरा सी गलती होने पर ये टोपी उछल जाती है अर्थात् बेइज़्ज़ती हो जाती है।
टोपी सलामत रहने से परत बनी रहती है और अपनी बात पूरी करने हेतु कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है अर्थात् मूर्ख बनाना पड़ता है।