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सुदामा चरित
नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।
चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।।
आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।
स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सों, “चोरी की बान में ही जू प्रवीने।।
पोटरि काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नाहिं सुधा रस भीने।
पाछिलि बानि अजाै न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे।।”
सुदामा कृष्ण को चावल की पोटली देने में संकोच क्यों कर रहे थे?
- क्योंकि यह भेंट कृष्ण के ठाठ-बाट के समक्ष तुच्छ थी।
- चावल कच्चे थे
- चावल कम थे
- चावल के साथ कुछ और न था।
Solution
Multi-choise Question
A.
क्योंकि यह भेंट कृष्ण के ठाठ-बाट के समक्ष तुच्छ थी।Some More Questions From सुदामा चरित Chapter
निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।
उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।
अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बढ़त वर्षो बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”
ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।
इस कविता को एकांकी में बदलिए और उसका अभिनय कीजिए।
कविता के उचित सस्वर वाचन का अभ्यास कीजिए।
‘मित्रता’ संबंधी दोहों का संकलन कीजिए।
सुदामा की वेशभूषा क्या दर्शाती है?
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