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Hindi Writing Skill

Question
CBSEHIHN10002910

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए :   

(क) पुस्तकें पढ़ने की आदत

• पढ़ने  की घटती प्रवृत्ति
• कारण और हानि
• पढ़ने की आदत से लाभ


(ख) कम्प्यूटर हमारा मित्र

• क्या है
• विद्यार्थियों के लिए उपयोग
• सुझाव


(ग) स्वास्थ्य की रक्षा

• आवश्यकता
• पोषक भोजन
• लाभकारी सुझाव

Solution

(क) पुस्तकें पढ़ने की आदत

पुस्तकें हमारे लिए ज्ञान का साधन हैं। अतः मनुष्य निरंतर पुस्तकों का अध्ययन करता है। आज समय की कमी के कारण पुस्तक पढ़ने  की आदत घटती जा रही है। आज कंप्यूटर का बोलबाला। मनुष्य को जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए बाज़ार में जाने की आवश्यकता नहीं है। इंटरनेट के माध्यम से वह घर पर अपने कंप्यूटर या लैपटाप के माध्यम से किसी भी विषय पर जानकारी हासिल कर सकता है। इससे पुस्तकें पढ़ने की आदत पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे मनुष्य को यह हानि हो रही है कि अब धीरे-धीरे पुस्तकों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा है। मनुष्य को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो रही हैं।  पुस्तकें निरंतर पढ़ते रहने से ज्ञान लाभ होता है। समय का सदुपयोग होता है। 
 

अथवा
 

(ख) कम्प्यूटर हमारा मित्र
कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जो मनुष्य के मस्तिष्क से भी कई गुना तेज़ चलती है। इंटरनेट से जुड़कर यह हर समस्या को पल में हल करने का दम रखती है। एक विद्यार्थी के लिए तो यह रामबाण औषधि की तरह कार्य करता है। पहले विद्यार्थियों को अपने अध्ययन के लिए पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं तक ही सीमित रहना पड़ता था, जिससे उनका ज्ञान भी सीमित रहता था। कंप्यूटर के माध्यम से उनका अध्ययन क्षेत्र विस्तृत बन गया है। अब उन्हें एक ही विषय से सम्बन्धित ढेरों जानकारियाँ घर में रहकर ही उपलब्ध हो जाती हैं। उनका ज्ञान क्षेत्र अब सीमित दायरों से निकलकर विशाल समुद्र की तरह हो गया है। इससे कुछ नुकसान भी हैं। अतः इस पर लगातार कार्य नहीं करना चाहिए। इसका उतना प्रयोग करना चाहिए, जिनता उचित हो।


अथवा

 

(ग) स्वास्थ्य की रक्षा
स्वास्थ्य मनुष्य के जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। एक स्वस्थ मनुष्य जीवन के हर आनंद का अनुभव लेता है और पूरी स्फूर्ति से अपने दैनिक कार्य करता है। यदि हमारा स्वास्थ्य सही नहीं है, तो जीवन निराशा से भरा हो जाता है। किसी काम में मन नहीं लगता है। जीवन से सारा आनंद गायब हो जाता है। स्वास्थ्य रहने के लिए आवश्यक है कि वह निरोग रहे। निरोग रहने के लिए उसे संतुलित भोजन तथा रोज़ व्यायाम करना आवश्यक है। संतुलित भोजन शरीर की अन्य माँगों को पूरा करता है और मनुष्य को रोगों से लड़ने के लिए आवश्यक खनिज, प्रोटीन तथा वसा उपलब्ध करवाता है। संतुलित भोजन शरीर को ऊर्जा तथा रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है तथा व्यायाम शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति हर कार्य करने में समर्थ होता है।  हमें जीवन का भरपूर आनंद लेने के लिए स्वास्थ्य को महत्व देना पड़ेगा।

Some More Questions From Hindi Writing Skill Chapter

Q1निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (2 × 6 = 12)

 

पता नहीं क्यों, उनकी कोई नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाय अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे—बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है। स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक 'बड़ी सोच का बड़ज कमाल' में लिखिते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। 'भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार—बार सोचे। व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।' सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि व उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते—देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं— महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।

पता नहीं क्यों, उनकी कोई नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाय अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे—बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है। स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक 'बड़ी सोच का बड़ज कमाल' में लिखिते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। 'भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार—बार सोचे। व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।' सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि व उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते—देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं— महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।

(क)गद्यांश में किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने का क्या उपाय अपनाते हैं? 
(ख)गद्यांश में समृद्धि और उन्नति के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं?
(ग)भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का क्या महत्व है
() गद्यांश में किस जादुई शक्ति की बात की गई है? उसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
(ङ) 'सफलता' और 'आतंकित' शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और प्रत्यय का उल्लेख कीजिए।
() गद्यांश से दो मुहावरे चुनकर उनका वाक्य प्रयोग कीजिए

 

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए— (2 × 4 = 8)
इस पृथ्वी पर
एक मनुष्य की तरह
मैं जीना चाहता हूँ
वे खत्म करना चाहते हैं
बैक्टेरिया की तरह
उनके तमाम हथकंडों के बावजूद
मैं नहीं मरता
उपेक्षा, भूख और तिरस्कार से लड़ते—झगड़ते
बढ़ गई है मेरी प्रतिरोधक सामर्थ्य
मैं मृत्यु से नहीं डरता
और अमरत्व में मेरा विश्वास नहीं
लेकिन मैं नहीं चाहता प्रतिदिन मरना
थोड़ा—थोड़ा
किंचित विनम्रता
किंचित अकड़
और मित्र हँसी के साथ
बेहतर सृष्टि के लिए
मैं एक पके फल की तरह टपकना चाहता हूँ
जिसे लपकने ​के लिए
झुक जाएँ एक साथ
असंख्य नन्हें—नन्हें हाथ
अधूरी लड़ाई बढ़ाने के लिए
फल के रस की तरह
मैं उनके रक्त में घुल जाना चाहता हूँ
मैं एक मनुष्य की तरह मरना चाहता हूँ।
(क) कवि की प्रतिरोध क्षमता कैसे बढ़ गई है? समझाइए।

(ख) कवि के 'हथकंडों' शब्द के प्रयोग का तात्पर्य क्या है?

(ग)'मैं नहीं चाहता प्रतिदिन मरना'— का आशय समझाइए।

(घ) पके फल की तरह टपकने की चाह क्यों व्यक्त की गई है? 

Q10निम्नलिखित गद्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-   (2 + 2 + 1 =5)

खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर ले चलें, यही महत्त्व की बात है। यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है। समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है। व्यवहारवादी लोगों ने तो समाज को गिराया ही है।

(क) महत्त्व की बात क्या है और क्यों?

(ख) शाश्वत मूल्य क्या हैं? इन मूल्यों से समाज को क्या लाभ हैं?

(ग) समाज को पतन की ओर ले जाने वाले लोग कौन हैं?

 

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है- आवाज़ को ध्यान से सुनना। यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक। मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक। अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं। हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फँसकर रह जाता है। बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनुसना करने से जाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें। अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूजवेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और इस दौरान उनकी बातें ज्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादात अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी।

(क) अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?
(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
(ग) अधिक बोलना किन बातों का सूचक है?
(घ) रूजवेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?
(ङ) तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए- ''हम सुनना चाहते ही नहीं।''
(च) अनुच्छेद का मूल भाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए। 

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः
यादें होती हैं गहरी नदी में उठी भँवर की तरह
नसों में उतरती कड़वी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती हैं जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीर में धँसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब-तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना ज़रूरत नहीं, मेरी मजबूरी है।
(क) यादों को गहरी नदी में उठी भँवर की तरह क्यों कहा गया है?
(ख) यादों को जानी दुश्मन की तरह मानने का क्या आशय है?
(ग) शरीर में धँसे काँच से यादों का साम्य कैसे बिठाया जा सकता है?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए-
'यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है।' 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

संसार की रचना भले ही कैसे हुए हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर, आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक दूसरे से दूर हो चुका है।

(क) 'मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दीं'- कथन का क्या आशय है?
(ख) परिवार के टुकड़ों में बँटकर एक दूसरे से दूर होने के क्या कारण हैं?
(ग) आशय समझाइए धरती किसी एक की नहीं है।

दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिएः
(क) मित्रता
•    मित्रता का महत्त्व
•    अच्छे मित्र के लक्षण
•    लाभ-हानि

(ख) दहेज प्रथा- एक अभिशाप
•    सामाजिक समस्या
•    रोकथाम के उपाय
•    युवकों का कर्त्तव्य

(ग) कम्प्यूटर
•    उपयोगी वैज्ञानिक आविष्कार
•    विविध क्षेत्रों का कंप्यूटर
•    लाभ-हानि

 

आपके नाम से प्रेषित एक हजार रु. के मनीआर्डर की प्राप्ति न होने का शिकायत पत्र अधीक्षक, पोस्ट आफिस को लिखिए। 

विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभाग 30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए। 

खाद्य-पदार्थों में होने वाली मिलावट के बारे में मित्र के साथ हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।