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Hindi Writing Skill

Question
CBSEHIHN10002853

दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिएः
(क) मित्रता
•    मित्रता का महत्त्व
•    अच्छे मित्र के लक्षण
•    लाभ-हानि

(ख) दहेज प्रथा- एक अभिशाप
•    सामाजिक समस्या
•    रोकथाम के उपाय
•    युवकों का कर्त्तव्य

(ग) कम्प्यूटर
•    उपयोगी वैज्ञानिक आविष्कार
•    विविध क्षेत्रों का कंप्यूटर
•    लाभ-हानि

 

Solution
(क) मित्रता एक अनमोल धन है। यह ऐसी धरोहर है जिसका मूल्य लगा पाना सम्भव नहीं है। इस धन व धरोहर के सहारे मनुष्य कठिन से कठिन समय से भी बाहर निकल आता है। इस धन का मुख्य भाग है हमारा 'मित्र'। हर बीमारी का इलाज मनुष्य को भगवान द्वारा परिवार मिलता है परन्तु मित्र वह स्वयं बनाता है। जीवन के संघर्षपूर्ण मार्ग पर चलते हुए उसके साथ उसका मित्र कन्धे-से-कन्धा मिलाकर चलता है। हर व्यक्ति को मित्रता की आवश्यकता होती है। वह चाहे सुख के क्षण हो या दुख के क्षण मित्र उसके साथ रहता है। वह अपने दिल की हर बात निर्भयता से केवल अपने मित्र से कह सकता है। किसी विशेष गुढ़ बात पर मित्र ही उसे सही सलाह देकर उसका मार्गदर्शन करता है। मित्र ही उसका सही अर्थों में सच्चा शुभचिंतक, मार्गदर्शक, शुभ इच्छा रखने वाला होता है। सच्ची मित्रता में प्रेम व त्याग का भाव होता है। मित्र की भलाई दूसरे मित्र का कर्त्तव्य होता है। वह जहाँ एक ओर माता के धैर्य के समान उसे संभालता है तो पिता के जैसे शशक्त कन्धों का सहारा देता है। सच्चा मित्र वही कहलाता है जो विपत्ति के समय अपने मित्र के साथ दृढ़-निश्चय होकर खड़ा रहता है। हमें चाहिए कि जब भी किसी को अपना मित्र बनाए तो सोच-विचार कर बनाए क्योंकि जहाँ एक सच्चा मित्र आपका साथ दे आपको ऊँचाई तक पहुँचा सकता है। कपटी मित्र अपने स्वार्थ के लिए आपको पतन के रास्ते पर पहुँचा भी सकता है। जो आपके मुँह पर आपके सगे बने और पीठ पीछे आपकी बुराई करे ऐसी मित्रता को नमस्कार कहने में ही भलाई है।
(ख) दहेज प्रथा हिंदू समाज की नवीनतम बुराइयों में से एक है। विगत बीस-पच्चीस वर्षों में यह बुराई इतनी बढ़कर सामने आई है कि इसका प्रभाव समाज की आर्थिक एवं नैतिक व्यवसाय की कमर तोड़ रहा है। इस प्रथा के पीछे लोभ की दुष्प्रवृत्ति है। दहेज प्रथा भारत के सभी क्षेत्रों और वर्गों में व्याप्त है। दहेज प्रथा को जीवित रखने वाले तो थोड़े-से व्यक्ति हैं परन्तु समाज पर इसका कुप्रभाव अत्यधिक पड़ रहा है। कितनी बार देखा जाता है कि पिता को अपनी सुंदर लड़की की शादी धन के अभाव के कारण किसी भो कुरुप लड़के के साथ करनी पड़ती है। अनेक बार सुनने मे आता है कि अमुक लड़की ने आत्महत्या कर ली। दहेज प्रथा की बीमारी पढ़े-लिखे लोगों में अनपढ़ों की अपेक्षा अधिक फैली हुई है। सरकार ने दहेज प्रथा के विरूद्ध कानून बना दिया है लेकिन कानून बेचारा क्या करे, जब कोई शिकायत करने वाला ही न हो। अतः कानून को और सख्त बनाना पड़ेगा। लड़कियों को उच्चशिक्षा दिलवाना आवश्यक है ताकि वह स्वयं के अधिकारों के प्रति जागरूक हो। इस प्रथा को तो समाज का युवावर्ग ही तोड़ने में समर्थ हो सकता है। वह वर्तमान परम्पराओं का एक बार तिरस्कार कर दे, तो सारा काम आसानी से बन सकता है।  
(ग) कम्प्यूटर के आविष्कार ने इन क्षेत्रों में जो क्रांति लाई वह काबिले-तारीफ है। कम्प्यूटर के माध्यम से डिजाइनिंग व छपाई को एक नया स्वरुप मिला। आज के व पुराने समय की पत्र-पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में जो बदलाव आया है, वो भी कम्प्यूटर की ही देन है। कम्प्यूटर के आविष्कार के साथ कई नए कार्य क्षेत्रों का भी जन्म हुआ जिससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए। आज कम्प्यूटर हर क्षेत्र में अपना स्थान बना चुका है। फिर चाहे वह हवाई-अड्डा हो, रेलवे स्टेशन हो, सरकारी या गैर सरकारी कार्यालय हो, बैंक हो, पत्र-पत्रिकाओं/समाचार-पत्रों का कार्यालय हो, पलक झपकते ही हम इसके द्वारा अपने कार्यों को कर सकते हैं। अपने कार्यों को और अच्छा बनाने के लिए हम ई-मेल का सहारा लेते हैं। आज ई-मेल भी हर क्षेत्र की महत्वपूर्ण ज़रुरत के रुप में सामने आया है। एक विद्यार्थी के लिए तो यह रामबाण औषधि की तरह कार्य करता है। कंप्यूटर के लाभ हैं, तो हानियाँ भी कम नहीं है। यदि कंप्यूटर में वायरस आ जाए, तो समस्त जानकारियाँ नष्ट हो जाती हैं। कुछ अपराधिक लोगों द्वारा, तो कई बैंकों या देश की सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों में कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से घुसपैठ की जाती है। यह बहुत गंभीर विषय है। साइबर क्राइम इसी से जुड़ा माना जाता है। इसके अधिक प्रयोग से सरदर्द, पीठ दर्द, आँखों संबंधी परेशानी जैसी बहुत-सी बीमारियाँ हो जाती हैं।

Some More Questions From Hindi Writing Skill Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है- आवाज़ को ध्यान से सुनना। यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक। मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक। अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं। हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फँसकर रह जाता है। बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनुसना करने से जाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें। अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूजवेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और इस दौरान उनकी बातें ज्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादात अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी।

(क) अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?
(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
(ग) अधिक बोलना किन बातों का सूचक है?
(घ) रूजवेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?
(ङ) तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए- ''हम सुनना चाहते ही नहीं।''
(च) अनुच्छेद का मूल भाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए। 

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः
यादें होती हैं गहरी नदी में उठी भँवर की तरह
नसों में उतरती कड़वी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती हैं जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीर में धँसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब-तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना ज़रूरत नहीं, मेरी मजबूरी है।
(क) यादों को गहरी नदी में उठी भँवर की तरह क्यों कहा गया है?
(ख) यादों को जानी दुश्मन की तरह मानने का क्या आशय है?
(ग) शरीर में धँसे काँच से यादों का साम्य कैसे बिठाया जा सकता है?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए-
'यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है।' 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

संसार की रचना भले ही कैसे हुए हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर, आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक दूसरे से दूर हो चुका है।

(क) 'मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दीं'- कथन का क्या आशय है?
(ख) परिवार के टुकड़ों में बँटकर एक दूसरे से दूर होने के क्या कारण हैं?
(ग) आशय समझाइए धरती किसी एक की नहीं है।

दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिएः
(क) मित्रता
•    मित्रता का महत्त्व
•    अच्छे मित्र के लक्षण
•    लाभ-हानि

(ख) दहेज प्रथा- एक अभिशाप
•    सामाजिक समस्या
•    रोकथाम के उपाय
•    युवकों का कर्त्तव्य

(ग) कम्प्यूटर
•    उपयोगी वैज्ञानिक आविष्कार
•    विविध क्षेत्रों का कंप्यूटर
•    लाभ-हानि

 

आपके नाम से प्रेषित एक हजार रु. के मनीआर्डर की प्राप्ति न होने का शिकायत पत्र अधीक्षक, पोस्ट आफिस को लिखिए। 

विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभाग 30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए। 

खाद्य-पदार्थों में होने वाली मिलावट के बारे में मित्र के साथ हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए। 

अपने पुराने मकान के बेचने संबंधी विज्ञापन का आलेख लगभग 25 शब्दों में तैयार कीजिए। 

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोक–रंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहराया गया है। धर्म–शासन, राज–शासन, मत–शासन – सबमें इनसे पूरा काम लिया गया है। इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक–कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी। सब प्रकार के शासन में – चाहे धर्म–शासन हो, चाहे राज–शासन, मनुष्य–जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है। दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज–शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म–शासन और मत–शासन चलते आ रहे हैं। इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी प्राय: हुआ है और होता रहता है। जिस प्रकार शासक–वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं उसी प्रकार धर्म–प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी। शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शान्ति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं। मत–प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति–पूजा करते देख दूसरी जाति के मत–प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय को भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।

(क) लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा किस पर आधारित है ? तथा इसका उपयोग कहाँ किया गया है ?
(ख) दंड का भय और अनुग्रह का लोभ किसने और क्यों दिखाया है ?
(ग) धर्म–प्रवर्तकों ने स्वर्ग–नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है ?
(घ) शासन व्यवस्था किन कारणों से भय और लालच का सहारा लेती है ?
(ङ) संप्रदायों–जातियों की भिन्नता किन रूपों में दिखाई देती है ?
(च) प्रतिष्ठा और लोभ शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए। 

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

हे ग्राम–देवता नमस्कार।
जन कोलाहल से दूर
कहीं एकाकी सिमटा–सा निवास,
रवि–शशि का उतना नहीं
कि जितना प्राणों का होता प्रकाश,
श्रम–वैभव के बल पर करते हो
जड़ में चेतनता का विकास
दानों–दानों से फूट रहे, सौ–सौ दानों के हरे हास
यह है न पसीने की धारा
यह गंगा की है धवल धार – हे ग्राम–देवता नमस्कार।
तुम जन–मन के अधिनायक हो
तुम हँसो कि फूले–फले देश,
आओ सिंहासन पर बैठो
यह राज्य तुम्हारा है अशेष,
उर्वरा भूमि के नए खेत के
नए धान्य से सजे देश,
तुम भू पर रहकर भूमि भार
धारण करण करते हो मनुज शेष,
महिमा का कोई नहीं पार
हे ग्राम–देवता नमस्कार ।।

(क) ग्राम–देवता को किसका अ​धिक प्रकाश मिलता है और क्यों ?
(ख) 'तुम हँसो' का क्या तात्पर्य है ? गाँवों के हँसने का क्या परिणाम हो सकता है ?
(ग) जड़ में चेतनता का विकास कौन करता है और कैसे ?
(घ) जन–मन का अधिनायक किसे कहा गया है ? उसके प्रसन्न होने का क्या परिणाम होगा ?