2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए— (2 × 4 = 8)
इस पृथ्वी पर
एक मनुष्य की तरह
मैं जीना चाहता हूँ
वे खत्म करना चाहते हैं
बैक्टेरिया की तरह
उनके तमाम हथकंडों के बावजूद
मैं नहीं मरता
उपेक्षा, भूख और तिरस्कार से लड़ते—झगड़ते
बढ़ गई है मेरी प्रतिरोधक सामर्थ्य
मैं मृत्यु से नहीं डरता
और अमरत्व में मेरा विश्वास नहीं
लेकिन मैं नहीं चाहता प्रतिदिन मरना
थोड़ा—थोड़ा
किंचित विनम्रता
किंचित अकड़
और मित्र हँसी के साथ
बेहतर सृष्टि के लिए
मैं एक पके फल की तरह टपकना चाहता हूँ
जिसे लपकने के लिए
झुक जाएँ एक साथ
असंख्य नन्हें—नन्हें हाथ
अधूरी लड़ाई बढ़ाने के लिए
फल के रस की तरह
मैं उनके रक्त में घुल जाना चाहता हूँ
मैं एक मनुष्य की तरह मरना चाहता हूँ।
(क) कवि की प्रतिरोध क्षमता कैसे बढ़ गई है? समझाइए।
(ख) कवि के 'हथकंडों' शब्द के प्रयोग का तात्पर्य क्या है?
(ग)'मैं नहीं चाहता प्रतिदिन मरना'— का आशय समझाइए।
(घ) पके फल की तरह टपकने की चाह क्यों व्यक्त की गई है?
(क)उपेक्षा, भूख और तिरस्कार से लड़ते-झगड़ते कवि की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है।
(ख) भूख और तिरस्कार से लड़ते-झगड़ते कवि की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है।
(ग) इसमें कवि तिल-)तिल मरने की बात करता है। वह आज उपेक्षा, भूख और तिरस्कार के कारण स्वयं को अपमानित समझता है, जो उसे तिल-तिल मरने पर मजबूर कर रहे हैं। कवि ऐसे मरने के लिए तैयार नहीं है।
(घ) पके फल को पकड़ने के लिए छोटे-छोटे बच्चे हाथ बढ़ाते हैं। पका फल उन बच्चों को खुशी दे जाता है। कवि को यह खुशी बहुत प्रिय है। अतः वह भी पका फल बनकर टपकना चाहता है ताकि वह बच्चों की खुशियों का कारण बन सके।