(क) 'बिहारी के दोहे' के आधार पर लिखिए की माला जपने और तिलक लगाने से क्या होता है। ईश्वर किससे प्रसन्न रहते हैं?
(ख) 'मनुष्यता' कविता में कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
(ग) 'आत्मत्राण' कविता में कोई सहायता न मिलने पर कवि की क्या प्रार्थना है?
(क)बिहारी के अनुसार ईश्वर को तो केवल सच्ची भक्ति से ही पाया जा सकता है। हाथ पर माला लेकर जपने तथा माथे पर चन्दन का तिलक लागकर जप करने से वह किसी काम नहीं आता है। यह सब बाहरी आडम्बर हैं। इस तरह के आडम्बरों से ईश्वर को पाया नहीं किया जा सकता। ये साधन साधक के लिए बाधा के समान है।
(ख) कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है जिससे सब मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहें क्योंकि एक होने से सभी कार्य सफल होते हैं ऊँच-नीच, वर्ग भेद नहीं रहता। सभी एक पिता परमेश्वर की संतान हैं। अत: सब एक हैं।
(ग) कवि सहायक के न मिलने पर प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले।