निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। इसके आगे सारी समस्याएँ बौनी हैं। लेकिन समस्या एक प्रतिभा को ख़ुद दूसरी प्रतिभा से होती है। बहुमुखी प्रतिभा का होना, अपने भीतर एक प्रतिभा के बजाय दूसरी प्रतिभा को खड़ा करना है। इससे हमारा नुकसान होता है। कितना और कैसे?
मन की दुनिया की एक विशेषज्ञ कहती हैं कि बहुमुखी होना आसान है, बजाय एक ख़ास विषय के विशेषज्ञ होने की तुलना में। बहुमुखी लोग स्पर्द्धा से घबराते हैं। कई विषयों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कि वे एक में स्पर्द्धा होने पर दूसरे की ओर भागते हैं। वे आलोचना से भी डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। बहुमुखी लोगों में सबसे महान माने जाने वाले माइकल एंजेलो से लेकर अपने यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई लोग। लेकिन आज ऐसे लोगों की पूछ-परख कम होती है। ऐसे लोग प्रतिभाशाली आज भी माने जाते हैं, लेकिन असफल होने की आशंका उनके लिए अधिक होती है। आज वे लोग 'विंची सिंड्रोम' से पीड़ित माने जाते हैं, जिनकी पकड़ दो-तीन या इससे ज़्यादा क्षेत्रों में हो, लेकिन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद हों।
बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने को बाध्य करती है। समस्या तब होती है, जब यह हाथ आज़माना दख़ल करने जैसा हो जाता है। वे न इधर के रह जाते हैं, और न उधर के। प्रबंधन की दुनिया में – 'एक के साधे सब सधे, सब साधे सब जाए' का मंत्र ही शुरु से प्रभावी है। यहाँ उस पर ज़्यादा फोकस नहीं किया जाता, जो सारे अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है। हम दूसरे क्षेत्रों में हाथ आज़मा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भूमिका न अदा करें।
(क) बहुमुखी प्रतिभा क्या है? प्रतिभा से समस्या कब, कैसे हो जाती है?
(ख) बहुमुखी प्रतिभा वालों की किन कमियों की ओर संकेत है?
(ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ किन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफलता की संभावना क्यों है?
(घ) एेसे लोगों का स्वभाव कैसा होता है और वे प्राय: सफल क्यों नहीं हो पाते?
(ङ) प्रबंधन के क्षेत्र में कैसे लोगों की आवश्यकता होती है? क्यों?
(च) आशय स्पष्ट कीजिए:
'प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती।'
प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। इसके आगे सारी समस्याएँ बौनी हैं। लेकिन समस्या एक प्रतिभा को ख़ुद दूसरी प्रतिभा से होती है। बहुमुखी प्रतिभा का होना, अपने भीतर एक प्रतिभा के बजाय दूसरी प्रतिभा को खड़ा करना है। इससे हमारा नुकसान होता है। कितना और कैसे?
मन की दुनिया की एक विशेषज्ञ कहती हैं कि बहुमुखी होना आसान है, बजाय एक ख़ास विषय के विशेषज्ञ होने की तुलना में। बहुमुखी लोग स्पर्द्धा से घबराते हैं। कई विषयों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कि वे एक में स्पर्द्धा होने पर दूसरे की ओर भागते हैं। वे आलोचना से भी डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। बहुमुखी लोगों में सबसे महान माने जाने वाले माइकल एंजेलो से लेकर अपने यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई लोग। लेकिन आज ऐसे लोगों की पूछ-परख कम होती है। ऐसे लोग प्रतिभाशाली आज भी माने जाते हैं, लेकिन असफल होने की आशंका उनके लिए अधिक होती है। आज वे लोग 'विंची सिंड्रोम' से पीड़ित माने जाते हैं, जिनकी पकड़ दो-तीन या इससे ज़्यादा क्षेत्रों में हो, लेकिन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद हों।
बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने को बाध्य करती है। समस्या तब होती है, जब यह हाथ आज़माना दख़ल करने जैसा हो जाता है। वे न इधर के रह जाते हैं, और न उधर के। प्रबंधन की दुनिया में – 'एक के साधे सब सधे, सब साधे सब जाए' का मंत्र ही शुरु से प्रभावी है। यहाँ उस पर ज़्यादा फोकस नहीं किया जाता, जो सारे अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है। हम दूसरे क्षेत्रों में हाथ आज़मा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भूमिका न अदा करें।
(क) बहुमुखी प्रतिभा क्या है? प्रतिभा से समस्या कब, कैसे हो जाती है?
(ख) बहुमुखी प्रतिभा वालों की किन कमियों की ओर संकेत है?
(ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ किन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफलता की संभावना क्यों है?
(घ) एेसे लोगों का स्वभाव कैसा होता है और वे प्राय: सफल क्यों नहीं हो पाते?
(ङ) प्रबंधन के क्षेत्र में कैसे लोगों की आवश्यकता होती है? क्यों?
(च) आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) बहुमुखी प्रतिभा का अर्थ हैः एक व्यक्ति में कई प्रतिभाओं का एक साथ होना। यह तब समस्या बन जाती है, जब वह हाथ आज़माने के स्थान पर दखल करने जैसा हो जाता है।
(ख) बहुमुखी प्रतिभा वालों की निम्नलिखित कमियों की ओर संकेत किया गया है।–
1. वे प्रतिस्पर्धा से घबराते हैं।
2. उन्हें अपनी आलोचना से डर लगता है।
3. वे हमेशा अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं
4. असफलता का डर उन्हें हमेशा परेशान करता है।
(ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ उन क्षेत्रों में अधिक होती है, जिनमें वे सहज होते हैं। वैसे प्रंबधन के क्षेत्र में उनकी आवश्यकता अधिक होती है।
(घ) ऐसे लोगों का स्वभाव कई कामों को एक साथ करने की इच्छा लिए होता है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने को बाध्य करती है।
(ङ) प्रबंधन का कार्य कई कामों को एक साथ संभालना होता है। अतः यहाँ ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है। बहुमुखी प्रतिभा वाले एक समय पर कई काम सरलतापूर्वक कर सकते हैं। अतः प्रबंधन के कार्य के लिए वे उचित होते हैं।
(च) इसका आशय है कि प्रतिभा स्वयं में सक्षम है। जो प्रतिभावान होता है, वह इसके दम पर ही अपनी पहचान बना लेता है। उसकी प्रतिभा लोगों को दिखने लगती है। उसे किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है।