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समानता

Question
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एक मत है कि पूर्ण-आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय। एक समाज ज़्यादा से ज़्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? अपना तर्क दीजिए।

Solution

अमीर और ग़रीब के बीच मौजूद आर्थिक असमानता के विभिन्न विचार तथा तर्क निम्नलिखित दिए जा रहे हैं:

  1. यह विचार पूर्णतया सही हैं कि एक समाज में पूर्ण आर्थिक समानता न तो सम्भव हैं, और न ही वांछनीय है। क्योंकि सभी व्यक्ति न तो अत्याधिक धनि या अत्याधिक ग़रीब हो सकते हैं। समाज में लोगों की अपनी-अपनी भूमिकाएँ, स्थितियाँ और ओहदा होता हैं जिस कारण समाज सुचारु रूप से चल पाता हैं।
  2. समाज में लोग अपनी क्षमताओं के अनुसार अलग-अलग ओहदा (Rank) प्राप्त करते हैं और उनके काम और जिम्मेदारियाँ उनकी रैंक से ही जुडी होती हैं जिसके अनुसार ही उन्हें भुगतान किया जाता हैं। इसी कारण पूर्ण आर्थिक समानता संभव नहीं हो सकती क्योंकि आय में असमानता तो समाज में रहेगी।
  3. परन्तु समाज केवल अनेक प्रयासों से ही अमीर और ग़रीब के अंतर को कम कर सकता हैं। इस अंतर को कम करने के लिए ग़रीब वर्ग को विशेष आर्थिक सुविधाएँ प्रदान की जा सकती हैं।   
  4. इसके साथ ही, उन्हें विकास के उचित अवसर प्रदान किए जा सकते हैं तथा संविधान के अंतर्गत उन्हें सरकारी शिक्षण संस्थाओं एवं नौकरियों में कुछ प्रतिशत आरक्षण भी दिया जा सकता है।
  5. आज अधिकतर लोकतंत्र लोगों को समान अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं। यह माना जाता है कि समान अवसर कम से कम उन्हें अपनी हालत को सुधारने का मौका देते हैं जिनके पास प्रतिभा और संकल्प है।
  6. समान अवसरों के साथ भी असमानता बनी रह सकती है, लेकिन इसमें यह संभावना छुपी है कि आवश्यक प्रयासों द्वारा कोई भी समाज में अपनी स्थिति बेहतर कर सकता है।

Some More Questions From समानता Chapter

नीचे दी गई अवधारणा और उसके उचित उदाहरणों में मेल बैठाएँ।

(क) सकारात्मक कार्यवाई   1. प्रत्येक व्यस्क नागरिक को मत देने का अधिकार है।
(ख) अवसर की समानता  2. बैंक वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की ऊँची दर देते हैं। 
(ग) समान अधिकार  3. प्रत्येक बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए। 

 

किसानों की समस्या से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार छोटे और सीमांत किसानों को बाज़ार से अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता। रिपोर्ट में सलाह दी गई कि सरकार को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। लेकिन यह प्रयास केवल लघु और सीमांत किसानों तक ही सीमित रहना चाहिए। क्या यह सलाह समानता के सिद्धांत से संभव है ?

निम्नलिखित में से किस में समानता के किस सिद्धांत का उल्लंघन होता है और क्यों ?
(क) कक्षा का हर बच्चा नाटक का पाठ अपना क्रम आने पर पड़ेगा।
(ख) कनाडा सरकार ने दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति से 1960 तक यूरोप के श्वेत नागरिकों को कनाडा में आने और बसने के लिए प्रोत्साहित किया।
(ग) वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से रेलवे आरक्षण की एक खिड़की खोली गई।
(घ) कुछ वन क्षेत्रों को निश्चित आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

यहाँ महिलाओं को मताधिकार देने के पक्ष में कुछ तर्क दिए गए हैं। इनमें से कौन-से तर्क समानता के विचार से संगत हैं। कारण भी दीजिए।
(क) स्त्रियाँ हमारी माताएँ हैं। हम अपनी माताओं को मताधिकार से वंचित करके अपमानित नहीं करेंगे ?
(ख) सरकार के निर्णय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं इसलिए शासकों के चुनाव में उनका भी मत होना चाहिए।
(ग) महिलाओं को मताधिकार न देने से परिवारों में मतभेद पैदा हो जाएँगे।
(घ) महिलाओं से मिलकर आधी दुनिया बनती है। मताधिकार से वंचित करके लंबे समय तक उन्हें दबाकर नहीं रखा जा सकता है।

कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने पैदा किया है। आप किस मत का समर्थन करते हैं ? कारण दीजिए।

एक मत है कि पूर्ण-आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय। एक समाज ज़्यादा से ज़्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? अपना तर्क दीजिए।