कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने पैदा किया है। आप किस मत का समर्थन करते हैं ? कारण दीजिए।
'समानता' शब्द का वास्तविक अर्थ यह है कि सभी व्यक्तियों को समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए ताकि सभी व्यक्ति अपनी योग्यता के आधार पर अपना विकास कर सके और इसके लिए विशेष अधिकारों की समाप्ति होनी चाहिए। सभी को उन्नति के समान अवसर मिलने चाहिए। इस मत के समर्थकों का कहना है कि प्रकृति ने सभी मनुष्य को समान बनाया है।
परंतु यह मत ठीक नहीं हैं। प्रकृति ने सभी मनुष्य को एक-समान नहीं बनाया। प्राकृतिक और सामाजिक असमानताएँ इस बात की पुष्टि करती हैं। प्राकृतिक असमानताएँ लोगों में उनकी विभिन्न क्षमताओं, प्रतिभा और उनके अलग-अलग चयन के कारण पैदा होती हैं। सामाजिक असमानताएँ वे होती हैं, जो समाज में अवसरों की असमानता होने या किसी समूह का दूसरे के द्वारा शोषण किए जाने से पैदा होती हैं।
प्रकृति ने मनुष्य में असमानताएँ उत्पन्न की है परंतु सभी मनुष्य में मौलिक समानताएँ होती हैं। समानता का अर्थ है मनुष्य की मौलिक समानताएँ जो समाज की असमानताओं से नष्ट नहीं होनी चाहिए। समाज में पाई जाने वाली असमानताओं को दूर करके सभी को उन्नति के समान अवसर मिलने चाहिए। किसी मनुष्य के साथ जाति, धर्म, रंग, लिंग, धन आदि के आधार पर भेद नहीं होना चाहिए अर्थात् समाज में जाति, धर्म, रंग, लिंग, धन आदि के आधार पर असमानताएँ नहीं होनी चाहिए, यदि हों तो उन्हें समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।



