उन्नीसवीं सदी के भारत में औरतें परंपरागत कपड़े क्यों पहनती रहीं जबकि पुरुष पश्चिमी कपड़े पहनने लगे थे? इससे समाज में औरतों की स्थिति के बारे में क्या पता चलता हैं?
यह तथ्य सही हैं कि 19वीं सदी में महिलाएं भारतीय पोशाक पहनती रहती थीं जबकि पुरुषों ने पश्चिमी कपड़ों का प्रयोग करना शुरू किया। यह केवल समाज के ऊपरी भाग में हुआ। इसके कुछ कारण निम्न हैं:
(i) 19वीं सदी में, भारतीय महिला चार दीवारों तक ही सीमित थी क्योंकि पर्दा- प्रणाली प्रचलित थी। उन्हें परंपरागत कपड़े पहनना पड़ता था।
(ii) समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत नाज़ुक थी। उनमें से ज़्यादातर अशिक्षित थी और कभी स्कूल या कॉलेज नहीं गयी थी। इसलिए, उन्हें कपड़े की शैली को बदलने के लिए कोई आवश्यकता नहीं महसूस हुई थी।
(Iii) दूसरी तरफ, ऊपरी-वर्ग के भारतीय पश्चिमी शिक्षित थे और पश्चिमी शैली-जैसे पश्चिमी कपड़ो का इस्तेमाल करना जैसी सभ्यताओं को अपनाया। उसमे से ज्यादातर लोग व्यवसायी या अधिकारी थे जिन्होंने आराम, आधुनिकता और प्रगति की खातिर ब्रिटिश शैली की पोशाक का अनुकरण किया था।
(iv) पारसी पश्चिमी शैली के कपड़ो को अपनाने वाले पहले भारतीय थे क्योंकि यह आधुनिकता, उदारवाद और प्रगति का प्रतीक दिखाई पड़ती थी। कुछ लोग दो जोड़ी कपड़ों का इस्तेमाल किया करते थे। वे कार्यालयों में पश्चिमी कपड़े और सामाजिक कार्यों के लिए भारतीय कपड़े का प्रयोग करते थे।



