विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि महात्मा गांधी 'राजद्रोही मिडिल टेम्पल वकील' से ज़्यादा कुछ नहीं हैं और 'अधनंगे फकीर का दिखावा' कर रहे हैं।
चर्चिल ने यह वक्तव्य क्यों दिया और इससे महात्मा गांधी की पोशाक की प्रतीकात्मक शक्ति के बारे में क्या पता चलता है?
जब महात्मा गांधी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन पहुँचे उस समय उन्होंने खादी का संक्षिप्त वस्त्र पहन रखा था। यह लंदन की मिलों के बने वस्त्र का विरोध प्रकट करने का उनका अपना तरीका था। यह गरीबी तथा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का भी प्रतीक था। ऐसे ही मौके पर चर्चिल ने गांधीजी को 'अधनंगा फकीर' कहा था।
इस तरह का पहनावा एक साथ कई बातों की ओर संकेत करता है। पहला ,यह ब्रिटिश शासन द्वारा भारतीयों के शोषण का सूचक है जैसा कि महात्मा गांधी के व्यक्तव्य से भी ज़ाहिर होता है। जब उनसे पूछा गया कि उनके वस्त्र छोटे क्यों है तो उन्होंने कहा - 'जॉर्ज पंचम से मिलने जा रहा हूँ उसके शरीर पर पर्याप्त वस्त्र है जिससे हम दोनों का गुजारा चल सकता है।'
दूसरा, यह आम भारतीय जनता के साथ एकरूपता तथा समानता का संकेत था जो आम लोगों के स्थिति को प्रदर्शित करता था। तीसरा, यह आत्मनिर्भरता का सूचक था। अतः गांधी के पहनावे का न केवल देश की जनता बल्कि ब्रिटिश सरकार के भविष्य के लिए भी बहुत बड़ा सांकेतिक महत्व था।



