समूचे राष्ट्र को खादी पहनाने का गांधीजी का सपना भारतीय जनता के केवल कुछ हिस्सों तक ही सीमित क्यों रहा?
इसके निम्न कारण थे:
(i) विविधतापूर्ण समाज: भारतीय समाज में विविधताओं से भरा समाज था। जिसमें अलग-अलग जाति, धर्म, वर्ग आदि के पुरुष- महिला रहते थे तथा जिनके रीति-रिवाज तथा पहनावों में व्यापक अंतर था। इतना ही नहीं, अपने पारंपरिक रीति -रिवाज का उन्हें मोह भी था। अत: उन्होंने खादी के पोशाक की उपेक्षा की।
(ii) भारतीय परंपरा तथा रीति-रिवाज: खासकर उन महिलाओं के लिए परंपरा और रीति-रिवाज रुकावट थे जो पश्चिमी पोशाक का प्रयोग करना चाहती थीं। वे लंबी पारंपरिक साड़ियों से मुक्ति चाहती थी किंतु, परिवार की बुजुर्ग महिलाएं उन्हें ऐसा करने से रोकती थीं। ये सब लोक-लज्जा के नाम पर किया जा रहा था।
(iii) पश्चिमी पोशाक का आकर्षण: अधिकतर समृद्ध भारतीय परिवारों ने पश्चिमी पोशाक को अपनाया। उनका मानना था कि पश्चिमी पोशाक आधुनिकता तथा विकास का प्रतीक हैं।
(iv) खादी की कीमत: खादी के वस्त्र कीमती थे। चाह कर भी सामान्य लोग खादी के वस्त्र नहीं पहन सकते थे। महंगा होने का एक कारण इसका निर्यात की वस्तु होना भी था। इसका व्यापार पूरी तरह ब्रिटिश नियंत्रण में था।
(v) खादी का उजला होना: खादी का उजाला होना भी उस समय महिलाओं द्वारा इसको अपनाए जाने के मार्ग में बाधक था। यहाँ मृत शरीर को उजले वस्त्र में लपेटा जाता था। इन वस्त्रों का प्रयोग विधवाओं द्वारा किया जाता था।



