आज़ादी के बाद प्रारंभिक दशकों में भारत के आर्थिक विकास की कल्पना किस तरह की गई थी?
आज़ादी के बाद प्रारंभिक दशकों में भारत के आर्थिक विकास की कल्पना:
(i) 1950 में सरकार ने आर्थिक विकास के लिए नीतियाँ बनाने और उनको लागू करने के लिए एक 'योजना आयोग' का गठन किया।
(ii) इस बारे में ज़्यादातर सहमति थी कि भारत 'मिस्रित आर्थव्यवस्था' के रास्ते पर चलेगा। यहाँ राज्य और निजी क्षेत्र, दोनों ही उत्पादन बढ़ाने और रोज़गार पैदा करने में महत्वपूर्ण और परस्पर पूरक भूमिका अदा करेंगे।
(iii) कोन से उद्योग सरकार द्वारा और कौन से उद्योग बाजार द्वारा यानी निजी उद्योगपतियों द्वारा लगाए जाएँगे, विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों के बीच किस तरह का संतुलन बनाया जाएगा इन सबको परिभाषित करना योजना आयोग का काम था।
(iv) 1956 में दूसरी पंचवर्षीय योजना तैयार कि गई। इस योजना में इस्पात जैसे भरी उद्योगों और विशाल बाँध परियोजनाओं आदि पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया।
(v) ये काम सरकारी नियंत्रण के अंतर्गत रखे गए। भारी उद्योग पर यह ज़ोर और अर्थव्यवस्था की राज्य नियंत्रण की कोशिशें अगले कुछ दशकों तक आर्थिक निति को प्रभावित करती रहीं।