Question
खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
Solution
खुली बेरोज़गारी:
(i) खुली बेरोज़गारी एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति योग्य अथवा स्वस्थ हैं अथवा मौजूदा मजदूरी दर पर काम करने का इच्छुक होते हुए भी उससे काम नहीं मिल पाता है। संसाधनों की कमी के कारण इस प्रकार की बेरोजगारी मौजूद है।
(ii) खुली बेरोजगारी शिक्षित बेरोजगारों के बीच मौजूद है आम तौर पर इस तरह के बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में देखी जा सकती है।
(iii) इसके तहत, कार्यकर्ता काम करने के लिए तैयार है, लेकिन वह किसी भी काम को खोजने में असमर्थ है।
प्रच्छन्न बेरोजगारी:
(i) प्रच्छन्न बेरोजगारी अर्थात छुपी हुई बेरोजगारी, यह वह स्थिति है, जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी खास काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर करने को कुछ भी नहीं होता।
(ii) दूसरी ओर प्रच्छन्न बेरोज़गारी कृषि क्षेत्र में आम तौर पर मौजूद होती है और ज्यादातर ग्रामीण लोगों में होती है।
(iii) इसके तहत, कार्यकर्ता काम कर रहा है, लेकिन अगर उसे हटा दिया गया है, तो उत्पादन घटता नहीं है।
(i) खुली बेरोज़गारी एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति योग्य अथवा स्वस्थ हैं अथवा मौजूदा मजदूरी दर पर काम करने का इच्छुक होते हुए भी उससे काम नहीं मिल पाता है। संसाधनों की कमी के कारण इस प्रकार की बेरोजगारी मौजूद है।
(ii) खुली बेरोजगारी शिक्षित बेरोजगारों के बीच मौजूद है आम तौर पर इस तरह के बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में देखी जा सकती है।
(iii) इसके तहत, कार्यकर्ता काम करने के लिए तैयार है, लेकिन वह किसी भी काम को खोजने में असमर्थ है।
प्रच्छन्न बेरोजगारी:
(i) प्रच्छन्न बेरोजगारी अर्थात छुपी हुई बेरोजगारी, यह वह स्थिति है, जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी खास काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर करने को कुछ भी नहीं होता।
(ii) दूसरी ओर प्रच्छन्न बेरोज़गारी कृषि क्षेत्र में आम तौर पर मौजूद होती है और ज्यादातर ग्रामीण लोगों में होती है।
(iii) इसके तहत, कार्यकर्ता काम कर रहा है, लेकिन अगर उसे हटा दिया गया है, तो उत्पादन घटता नहीं है।