धरती के पास सब लोगों की आवशयकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
अगर एक भी व्यक्ति लालची हो जाए जैसे किसी शक्तिशाली देश का राष्ट्र अध्यक्ष यह चाहे कि केवल उसी का या उसी के देश का वर्चस्व दुनिया में हो और वह इसके लिए इतना लालच में अंधा हो जाए कि वह विनाशकारी हथियारों का प्रयोग करके अपनी जिद पूरी करना चाहे तो सम्पूर्ण मानव जाती विशाल भूमण्डल उसके सारे संसाधन कुछ ही समय में राख हो जाएँगे और पर्याप्त संसाधन नहीं रहेंगे इसलिए यह कथन सही है कि सम्पूर्ण मानव जाती को लालच छोड़कर अपनी बुद्धि का सदुपयोग करते हुए सकुशल नियोजित ढंग से उसका उपयोग करें।