यौवनारम्भ के समय होने वाले शरीरिक परिवर्तनों की सूचि बनाइए।
यौवनारम्भ के समय होने वाले परिवर्तन-
(i) लंबाई मे वृद्धि- इस समय शरीरी की लंबी अस्थिओं जैसे की हाथ और पैर की अस्थियों की लंबाई मे वृद्धि होती है और व्यक्ति की लंबाई बढ़ जाती है। लड़कियों की लंबाई लगभग 18 वर्ष तक और लड़को की लंबाई लगभग 20 वर्ष तक बढ़ती है। व्यक्ति की लंबाई आनुवंशिक जीन पर निर्भर करती है।
(iii) शारीरिक आकृति मे परिवर्तन- लड़के और लड़कियों मे होने वाले परिवर्तन अलग-अलग है। यौवनारम्भ के समय लड़को के कंधे फैल कर चौड़े हो जाते है जबकि लड़कों मे कमर का निचला भाग चौड़ा हो जाता है। लड़कों की शारीरिक पेशियाँ लड़कियों की अपेक्षा सुस्पष्ट और गठी दिखाई देती है।
(iv) स्वर में परिवर्तन- यौवनारम्भ के समय लड़कों की आवाज लड़कियों की आवाज से भारी हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लड़को का स्वरयंत्र विकसित होकर बड़ा हो जाता है और आवाज भारी हो जाती है और फटने लगती है। जबकि लड़कियों का स्वरयंत्र लड़कों की अपेक्षा छोटा होता है और उच्चतारत्व वाला होता है।
(v) स्वेद एवं तैलग्रंथियों में वृद्धि- किशोरावस्था के समय इन ग्रंथियों का स्त्राव बढ़ जाता है जिससे व्यक्तियों के चेहरे पर मुहाँसे होने लगते हैं।
(vi) जनन अंगों का विकास- नर जननांग विकसित हो जाते है। वृषण से शुक्राणुओं का उत्पादन प्रारंभ हो जाता है। जबकि लड़किओं में अंडाशय के आकार में वृद्धि होती है तथा अंड परिपक़्व होने लगते हैं। अंडाशय से अंडाणुओं का निर्मोचन भी प्रारंभ हो जाता है।
(vii) मानसिक, बौद्धिक एवं संवेदनात्मक परिपक़्वता- किशोर अधिक स्वतंत्र तथा सचेत होते है। यौवनारम्भ के समय सिखने की क्षमता अधिक होती है। किशोरों में नये विचार उत्तपन होने लगते हैं। कभी-कभी इन शारीरिक परिवर्तनों की वजह से किशोर अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।