आम लोग विभाजन को किस तरह देखते थे?
आम लोग इस विभाजन को स्थायी रूप में नहीं देखते थे, उन्हें लगता था कि शांति के स्थापित होते ही, वे अपने-अपने घरों को वापस लौट आएँगे। उन्हें लगता था यह केवल सम्पति और क्षेत्र का ही विभाजन नहीं था, बल्कि एक महाध्वंस था। 1947 में जो मारकाट से बचे कुछ लोग इसे मारी-मारी, मार्शल-लॉ, रौला, हुल्ल्ड़ आदि शब्दों से संबोधित कर रहे थे। कुछ लोग इससे एक प्रकार का ग्रह-युद्ध भी मान रहे थे। विभाजन के दौरान हुई हत्याओं, बलात्कार, आगजनी और लूटपाट की बात करते हुए समकालीन प्रेक्षकों और विद्वानों ने कई बार इसे '' महाध्वंस '' (होलोकॉस्ट) कहा है। कुछ ऐसे भी लोग थे जो स्वयं को उजड़ा हुआ और असहाय अनुभव कर रहे थे। उनके लिए यह विभाजन उनसे बचपन कि यादें छीनने वाला तथा मित्रों तथा रिश्तेदारों से तोड़ने वाला मान रहे थे।