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विद्रोही और राज

Question
CBSEHHIHSH12028343

उन साक्ष्यों के बारे में चर्चा कीजिए जिनसे पता चलता है कि विद्रोही योजनाबद्ध और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे?

Solution

विद्रोह से सम्बन्धित विभिन्न स्रोतो से हमें यह प्रमाण मिलते हैं कि सिपाही विद्रोह को योजनाबद्ध एवं समन्वित तरीके से आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे। विभिन्न छावनियों में विद्रोही सिपाहियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान था। 'चर्बी वाले कारतूसों' की बात सभी छावनियों में पहुँच गई थी।
बरहमपुर से शुरू होकर बैरकपुर और फिर अंबाला और मेरठ में विद्रोह की चिंगारियाँ भड़की। इसका अर्थ यह निकला जा सकता हैं की सूचनाएँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच रही थी। सिपाही बगावत के मनसूबे गढ़ रहे थे।

इसका एक और उदाहरण यह है कि जब मई की शुरुआत में सातंवी अवध इर्रेगुलर कैविटी ने नए कारतूसों का प्रयोग करने से इनकार कर दिया तो उन्होंने 48वीं नेटिव इन्फेंट्री को लिखा: 'हमने अपने धर्म की रक्षा के लिए यह फैसला लिया है और 48 नेटिव इन्फेंट्री के के हुक्म का इंतजार कर रहे हैं।'
सिपाहियों की बैठकों के भी कुछ सुराग हमें मिलते हैं। हालांकि बैठकों में वे कैसी योजनाएँ बनाते थे, उसके प्रमाण नहीं है। फिर भी कुछ अंदाज़े लगाए जाते हैं कि इन सिपाहियों का दुःख-दर्द तक एक जैसा था। अधिकांश उच्च-जाति के थे और उनकी जीवन-शैली भी मिलती जुलती थी। स्वाभाविक है कि वे अपने भविष्य के बारे में ही निर्णय लेते होंगे। इस विद्रोह के आरंभिक इतिहासकारों में से एक चार्ल्स बॉल ने लिखा है कि ये पंचायते रात को कानपुर सिपाही लाइनों में होती थी जिनमें मिलिट्री पुलिस के कप्तान कैप्टन 'कप्तान हियर्से' की हत्या के लिए 41वीं नेटिव इन्फेंट्री के विद्रोही सैनिकों ने उन भारतीय सिपाहियों पर दबाव डाला, जो उस कप्तान की सुरक्षा के लिए तैनात थे।

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