Question
मुग़ल भारत में जमींदारों की भूमिका की जाँच कीजिए।
Solution
- मुग़ल भारत में जमींदार ज़मीन के मालिक होते थे। इन्हें ग्रामीण समाज में ऊँची हैसियत की वजह से कुछ खास सामाजिक और आर्थिक सुविधाएँ मिली हुई थीं। समाज में ज़मींदारों की उच्च स्थिति के दो कारण थे। उनकी जाती तथा उनके द्वारा राज्य को दी जाने वाली विशेष सेवाएँ।
- जमींदारों की समृद्धि की वजह थी उनकी विस्तृत व्यक्तिगत ज़मीन। इन्हें मिल्कियत कहते थे, यानी संपत्ति। मिल्कियत जमीन पर जमींदार के निजी इस्तेमाल के लिए खेती होती थी। अकसर इन जमीनों पर दिहाड़ी के मज़दूर या पराधीन मज़दूर काम करते थे।
- जमींदार अपनी मर्ज़ी के मुताबिक इन ज़मीनों को बेच सकते थे, किसी और के नाम कर सकते थे या उन्हें गिरवी रख सकते थे। ज़मींदारों को राज्य की ओर से कर वसूलने का अधिकार प्राप्त होता था। इसके बदले उन्हें वित्तीय मुआवज़ा मिलता था।
- सैनिक संसाधन जमींदारों की शक्ति का एक अन्य साधन था। अधिकांश ज़मींदारों के पास अपने किले भी थे और अपनी सैनिक टुकड़ियाँ भी जिसमें घुड़सवारों, तोपखाने और पैदल सिपाहियों के जत्थे होते थे।
- यदि हम मुगलकालीन गाँवों में सामाजिक संबंधों को एक पिरामिड के रूप में देखें तो जमींदार इसके संकरे शीर्ष का भाग थे अर्थात् उनका स्थान सबसे ऊँचा था।
- जमींदारों ने खेती लायक जमींनों को बसाने में अगुआई की और खेतिहरों को खेती के साजो-सामान व उधार देकर उन्हें वहाँ बसने में भी मदद की।
- ज़मींदारी की खरीद-बिक्री से गाँवों से मौद्रीकरण की प्रक्रिया में तेज़ी आई। ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि जमींदार एक प्रकार का हॉट (बाजार) स्थापित करते थे जहाँ किसान फ़सलें बेचने आते थे।