कबीर अथवा बाबा गुरु नानक के मुख्य उपदेशों का वर्णन कीजिए। इन उपदेशों का किस तरह संप्रेषण हुआ?
कबीर: इस में कोई दोराहे नहीं कि संत कबीर कवियों में विशेष स्थान रखते हैं: उनके मुख्य उपदेश निम्नलिखित हैं:
- कबीर के अनुसार परम सत्य अथवा परमात्मा एक हैं, भले ही विभिन्न सम्प्रदायों के लोग उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं।
- उन्होंने परमात्मा को निराकार बताया।
- उनके अनुसार भक्ति के माध्यम से मोक्ष अर्थात् मुक्ति प्राप्त हो सकती हैं।
- उन्होंने बहुदेववाद तथा मूर्ति-पूजा का खंडन किया।
- उन्होंने परमात्मा को निराकार बताया।
- उन्होंने ज़िक्र और इश्क के सूफ़ी सिद्धांतों के प्रयोग द्वारा 'नाम सिमरन' पर बल दिया।
- उन्होंने हिन्दुओं तथा मुसलमानों दोनों के धार्मिक आडंबरो का विरोध किया।
विचारों का संप्रेषण: कबीर ने अपने विचारों को काव्य की आम-बोलचाल की भाषा में व्यक्त किया जिसे आसानी से समझा जा सकता था। कभी-कभी उन्होंने बीज लेखन की भाषा का प्रयोग भी किया जो कठिन थी। उनके देहांत के बाद उनके अनुयायिओं ने अपने प्रचार-प्रसार द्वारा उनके विचारों का संप्रेषण किया।
बाबा गुरु नानक: गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रणेता थे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर समय सूफी और भक्त संतों के बीच बिताया। उनके मुख्य उपदेश निम्नलिखित है:
- उन्होंने निर्गुण भक्ति का प्रचार किया।
- धर्म के सभी बाहरी आडंबरों को उन्होंने अस्वीकार किया जैसे यज्ञ, आनुष्ठानिक स्नान, मूर्ति पूजा व कठोर तप।
- उन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के धर्मग्रंथों को भी उन्होंने नकारा।
- उन्होंने रब की उपासना के लिए एक सरल उपाय बताया और वह था उनका निरंतर स्मरण व नाम का जाप।
विचारों का संप्रेषण: उन्होंने अपने विचार पंजाबी भाषा में शबद के माध्यम से सामने रखे। बाबा गुरु नानक यह शबद अलग-अलग रागों में गाते थे और उनका सेवक मरदाना रबाब बजाकर उनका साथ देता था।