निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें:
जल-संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है?
जल-संभर प्रबंधन: जल संभर प्रबंधन से तात्पर्य, मुख्य रूप से, धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों, जैसे- अंत:स्रवण तालाब, पुनर्भरण, कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल हैं। इसके अंतर्गत सभी संसाधनों प्राकृतिक (जैसे भूमि, जल, पौधे और प्राणियों) और जल संभर सहित मानवीय संसाधनों के संरक्षण, पुनरुत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग को सम्मिलित किया जाता है।
जल-संभर प्रबंधन सतत पोषणीय विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है। केंद्रीय और राज्य सरकारों ने देश में अनेक जल-संभर विकास और प्रबंधन कार्यक्रम चलाए हैं। इन कार्यक्रमों में 'नीरू-मीरू' और 'अरवारी पानी' संसद कार्यक्रम प्रमुख हैं जिनके अंतर्गत लोगों के सहयोग ने विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएं जैसे- तालाब की खुदाई व बाँध बनाए गए हैं। तमिलनाडु राज्य में जल संग्रहण संरचना जिसके द्वारा जल का संग्रहण किया जाता है, को आवश्यक कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त 'हरियाली केंद्र' सरकार द्वारा चलाई गई जल-संभर विकास परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण लोगों को पीने, सिंचाई तथा मत्स्य पालन के लिए जल संरक्षण के योग्य बनाना है।
अन्य क्षेत्रों में भी जल-संभर विकास योजना पर्यावरण और अर्थव्यवस्था की काया पलट ने में सफल हुई है। आवश्यकता इस योजना के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने की है और इसकी जल संसाधन प्रबंधन उपागम द्वारा जल उपलब्धता सतत पोषणीय आधार पर की जा सकती है।



