आशय स्पष्ट कीजिए-
जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है ?..मैं कहता हूँ कि कवि बनना है मेरे दोस्तो, तो फक्कड़ बनो।
लेखक कवि की पहचान यह बताता है कि उसे अनासक्त रहना चाहिए अर्थात् किसी के साथ ज्यादा लगाव नहीं रखना चाहिए। उसे फक्कड़ बनकर रहना चाहिए। तभी वह कवि बन सकता है। जो किए-धरे के हिसाब-किताब मे उलझा रहता है वह कवि नहीं हो सकता। लेखक बार-बार कहता है कि यदि कवि बनना है तो फक्कड़ बनी। कफक्कड़ताकवि-कर्म कराता है।