दो कन्याओं को जन्म देने के बाद भी भक्तिन पुत्र की इच्छा में अंधी अपनी जिठानियों की पूणा एवं उपेक्षा की पात्र बनी रही। इस प्रकार के उदाहरण भारतीय समाज में अभी भी देखने को मिलते हैं। इसका कारण और समाधान प्रस्तुत कीजिए।
जब भक्तिन दो कन्या-रत्न पैदा कर चुकी तब उसकी सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर उसकी उपेक्षा की। भक्तिन उनकी उपेक्षा और पूणा का शिकार बन गई क्योंकि वह उनके समान पुत्र पैदा नहीं कर सकी थी। यद्यपि दोनों जिठानियों के काले-कलूटे पुत्र धूल उड़ाते फिरते थे, पर वे थे तौ पुत्र और भक्तिन इनसे वंचित थी।
इस प्रकार की घटनाओं से यह धारणा बनती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। भक्तिन की दुश्मन उसकी जिठानियाँ (स्त्रियाँ) ही बन गईं। भक्तिन के पति ने उससे कुछ नहीं कहा। वह पत्नी को चाहता भी बहुत था। भक्तिन पति की उपेक्षा की शिकार नहीं बनी, इसका कारण हमारे समाज का दृष्टिकोण तथा प्राचीन रूढ़ियाँ हैं। ग्रामीण समाज में घोर निरक्षरता व्याप्त है। वैज्ञानिक ससोचऔर तर्क का अभाव है। इसका समाधान शिक्षा (विशेषकर स्त्री शिक्षा) का प्रसार तथा महिला सशक्तिकरण के द्वारा ही संभव है।