निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें।
नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।
1. कवि किसे रोके रखने को कह रहा है और क्यों?
2. आकाश कैसा है? उसमें उड़ते बगुले किसके समान प्रतीत हो रहे हैं?
3. मनोरम दृश्य कवि को किसकी तरह बाँध रहा है? इस कल्पना का भाव स्पष्ट कीजिए।
1. कवि कजरारे बादलों की छाया में उड़ते सफेद बगुलों के सौंदर्य के प्रभाव को रोके रखने को कह रहा है। वह उसे निरंतर देखते रहना चाहता है। यह दृश्य उसे नयनाभिराम प्रतीत होता है।
2. आकाश में कजरारे काले बादल छाए हुए हैं। उसमें उड़ते बगुले बादलों के ऊपर तैरती साँझ की काया के समान प्रतीत होते हैं।
3. कवि की आँखें कजरारे बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुले चुराए लिए जा रहे हैं। यह दृश्य इतना नयनाभिराम होता है कि कवि उसी में अटक कर रह जाता है।