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उमाशंकर जोशी

Question
CBSEENHN12026483

‘बगुलों के पंख’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

Solution

‘बगुलों के पंख’ कविता एक सुंदर दृश्य कविता है। इसमें कवि आकाश में उड़ते बगुलों की पंक्ति को देखकर तरह-तरह की कल्पनाएँ करता है। ये बगुले कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की सफेद काया के समान लगते हैं। यह दृश्य अत्यंत नयनाभिराम प्रतीत होता है। कवि को यह दृश्य इतना भाता है कि वह सब कुछ भूलकर इसी के सौंदर्य में अटक कर रह जाता है। वैसे वह इसकी माया से बचाने की गुहार तो लगाता है, पर वह इस सौंदर्य से बँधकर रहना चाहता है। वस्तुगत और आत्मगत के संयोग की युक्ति पाठक को मूल सौंदर्य के काफी निकट ले जाती है।

Some More Questions From उमाशंकर जोशी Chapter

कवि के अनुसार बीज की रोपाई का क्या परिणाम होता है?

अंधड किसका प्रतीक है? वह क्या कर जाता है?

पौधों के फलों का काव्य-सृजन से क्या संबंध स्थापित किया गया है?

बगुलों के पंख

नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,

चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।

कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,

तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।

उसे कोई तनिक रोक रक्खो।

वह तो चुराए लिए जातीं मेरी आँखें

नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।



कवि ने आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुलों की तुलना किससे की है?

‘वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें’-काव्य-पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि की आँखें कौन और किस प्रकार चुराए लिए जा रहा है?

‘उसे कोई तनिक रोक रक्खो’-काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?

रचना के संदर्भ में अँधड़ और बीज क्या है?

रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?