‘छोटा मेरा खेत’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
‘छोटा मेरा खेत’ कविता के माध्यम से कवि ने कवि-कर्म (रचना-प्रक्रिया) को बाँधने की कोशिश की है। जिस प्रकार खेत में बीजारोपण होता है फिर वह अंकुरित होकर पौधे का रूप धारण कर लेता है और विकसित होकर पल्लवित-पुष्पित होता है, उसी प्रकार कवि के मन में विचार रूपी बीज पड़ता है और वह कल्पना का आश्रय लेकर फलता-फूलता है और कागज पर शब्द के रूप में रचना का आकार ग्रहण कर लेता है। तब इस साहित्यिक कृति से रस का अक्षय स्रोत फूटता है जो कभी समाप्त नहीं होता। उत्तम साहित्य कालजयी होता है। असंख्य बार पड़े जाने पर भी उसका महत्त्व कम नहीं होता, अपितु बढ़ता ही है।